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दाता नारी ही सब की जननी एहसास सम्मान शुभता का सतत् योग करके जननी प्रकृति प्रेम नारी सम्मान प्रेरक रौद्र रूप भी धारण करती प्रकृति को दूषित ना सुंदर प्रकृति के बिन प्रकृति को अक्षुण्ण बनाना है प्रकृति से ही जुड़ा एक दूजे के हैं पूरक प्रकृति नारी प्रेरणा बच्चों में जगाना है समान यशगान

Hindi जननी समान ही प्रकृति Poems